Navaratri Devi Pooja
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नवरात्रि देवी पूजा

नवरात्रि देवी पूजा
नवरात्रि हिंदू धर्म के प्रमुख पर्वों में से एक है, जो विशेष रूप से माँ दुर्गा और उनकी विभिन्न शक्तियों की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व शारदीय नवरात्रि के रूप में विशेष प्रसिद्ध है, जो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक मनाई जाती है। नवरात्रि देवी पूजा का उद्देश्य न केवल शारीरिक और मानसिक शुद्धता प्राप्त करना होता है, बल्कि यह आत्मा की उन्नति और देवी की कृपा प्राप्त करने के लिए भी महत्वपूर्ण है।
नवरात्रि पूजा का महत्व
नवरात्रि का पर्व देवी की उपासना का समय होता है, जिसमें विशेष रूप से माँ दुर्गा की पूजा की जाती है। यह पर्व एक तरह से शक्ति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए समर्पित होता है। नवरात्रि के दौरान, श्रद्धालु दिन-रात उपवासी रहकर देवी की पूजा करते हैं, उनका ध्यान करते हैं और पूरे आत्मीय भाव से देवी के साथ अपने रिश्ते को प्रगाढ़ करते हैं।
नवरात्रि के दौरान कौन-सी देवियों की पूजा होती है?
नवरात्रि पूजा में नौ दिनों तक माँ के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है। हर दिन एक देवी की उपासना की जाती है। यह रूपों का वर्णन इस प्रकार है:
पहला दिन: शैलपुत्री
पहले दिन माँ शैलपुत्री की पूजा की जाती है। माँ शैलपुत्री को पर्वतों की बेटी माना जाता है। यह रूप नवरात्रि की शुरुआत का प्रतीक है, जो भक्तों को शक्ति, साहस और आध्यात्मिक विकास का आशीर्वाद देते हैं।दूसरा दिन: ब्रह्मचारिणी
दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। माँ ब्रह्मचारिणी तप और साधना की देवी हैं। उनका आशीर्वाद पाने से व्यक्ति को तपस्विता, संयम और ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति होती है।तीसरा दिन: चंद्रघंटा
तीसरे दिन माँ चंद्रघंटा की पूजा की जाती है। माँ चंद्रघंटा का रूप शक्तिशाली और भयंकर होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में भय और विघ्नों का नाश होता है।चौथा दिन: कूष्मांडा
चौथे दिन माँ कूष्मांडा की पूजा की जाती है। माँ कूष्मांडा को सृजन की देवी माना जाता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में खुशी, समृद्धि और संपत्ति का वास होता है।पाँचवां दिन: स्कंदमाता
पाँचवे दिन माँ स्कंदमाता की पूजा की जाती है। वे भगवान स्कंद (कार्तिकेय) की माँ हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्तित्व में सौम्यता और शक्ति का संचार होता है।छठा दिन: कात्यायनी
छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती है। कात्यायनी शक्ति और वीरता की देवी हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से व्यक्ति को भय से मुक्ति और संघर्ष में विजय मिलती है।सातवाँ दिन: कालरात्रि
सातवें दिन माँ कालरात्रि की पूजा होती है। माँ कालरात्रि का रूप अत्यधिक उग्र और शक्तिशाली होता है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से शत्रुओं का नाश होता है और घर में शांति बनी रहती है।आठवाँ दिन: महागौरी
आठवें दिन माँ महागौरी की पूजा होती है। महागौरी देवी का रूप सुंदर, शांति और सौंदर्य का प्रतीक है। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से जीवन में सफलता, सुंदरता और सुख-शांति का आगमन होता है।नवाँ दिन: सिद्धिदात्री
नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। वे देवी शakti के सिद्ध रूप मानी जाती हैं। उनका आशीर्वाद प्राप्त करने से साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति होती है और उसका जीवन पूर्ण रूप से संतुलित हो जाता है।
नवरात्रि पूजा की विधि
नवरात्रि पूजा में विशेष पूजा विधि अपनाई जाती है। यह पूजा पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ की जाती है। इसकी विधि इस प्रकार है:
1. पूजा की तैयारी
- नवरात्रि पूजा की शुरुआत से पहले अपने घर को स्वच्छ करें और पूजा स्थल को पवित्र बनाएं। घर में देवी के लिए एक स्थान तय करें।
- पूजा सामग्री में आमतौर पर दीपक, अगरबत्ती, फूल, घी, तेल, कुंड़ा, अक्षत, चंदन, पूजा थाली, पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) और मिठाई रखी जाती है।
2. कलश स्थापना
नवरात्रि पूजा की शुरुआत कलश स्थापना से की जाती है। कलश में जल भरकर उसमें सुपारी, ताम्बूल (पान के पत्ते), और धागा डालकर उसे पूजा स्थल पर रखें। कलश के ऊपर नारियल रखें और चारों ओर गुलाब के फूल सजाएं।
3. माँ दुर्गा का ध्यान
पूजा स्थल पर माँ दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति रखें। फिर उनका ध्यान करें और उनका आह्वान करें। ध्यान करते समय, माँ की महिमा का उच्चारण करें और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
4. हवन और दीप जलाना
पूजा के दौरान हवन करना बहुत शुभ माना जाता है। इस दौरान देवी को प्रणाम करें और घर में दीप जलाएं। हवन में घी और विशेष सामग्री का उपयोग करें।
5. मंत्रों का उच्चारण
नवरात्रि के दौरान प्रत्येक दिन विशेष मंत्रों का जाप करना चाहिए। प्रमुख मंत्रों में शामिल हैं:
- ॐ दुं दुर्गायै नमः
- ॐ महा दुर्गायै नमः
- ॐ रां रीं रौं सः दुर्गायै नमः
6. आरती और भोग अर्पित करना
पूजा के अंत में माँ दुर्गा की आरती करें और देवी को भोग अर्पित करें। भोग में फल, मिठाई और विशेष व्यंजन अर्पित करें। फिर पूजा समाप्ति के बाद प्रसाद वितरित करें।
7. नवमी पूजन और कन्या पूजन
नवरात्रि के अंतिम दिन (नवमी) कन्या पूजन की परंपरा है, जिसमें नौ कन्याओं को बुलाकर उन्हें भोजन कराना और उन्हें उपहार देना जाता है। यह एक बहुत ही शुभ कार्य माना जाता है।
नवरात्रि पूजा के लाभ
सत्यनारायण व्रत कथा में कई प्रमुख पात्र और घटनाएं वर्णित हैं जो इस पूजा के महत्व को दर्शाते हैं।
1. गरीब ब्राह्मण:
कथा की शुरुआत एक गरीब ब्राह्मण से होती है, जो सत्यनारायण व्रत करने के बाद भगवान विष्णु की कृपा से धनी और सुखी हो जाता है।
2. साधु और लकड़हारा:
कथा में एक साधु और लकड़हारे की कहानी भी आती है, जहां साधु सत्यनारायण व्रत करने का महत्व बताता है और लकड़हारा व्रत करने के बाद धन-धान्य से संपन्न हो जाता है।
3. व्यवसायी और उसकी पत्नी:
एक व्यवसायी और उसकी पत्नी भी कथा में मुख्य पात्र हैं, जो भगवान की कृपा से संतान सुख प्राप्त करते हैं। उनकी कहानी भक्तों को सच्ची श्रद्धा और विश्वास का महत्व सिखाती है।
4. राजा तुंगध्वज:
राजा तुंगध्वज की कहानी इस बात का प्रमाण है कि सत्यनारायण पूजा के माध्यम से मनुष्य अपने पापों से मुक्त होकर धर्म और सत्य के मार्ग पर चल सकता है।
नवरात्रि पूजा के लाभ
- आध्यात्मिक उन्नति: नवरात्रि पूजा से व्यक्ति की आध्यात्मिक उन्नति होती है। यह पूजा आत्मा को शुद्ध करती है और व्यक्ति को मानसिक शांति प्रदान करती है।
- समृद्धि और सुख: इस पूजा से घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
- शक्ति की प्राप्ति: देवी की पूजा से शक्ति और साहस में वृद्धि होती है। व्यक्ति को जीवन में आने वाली समस्याओं से निपटने की ताकत मिलती है।
- स्वास्थ्य में सुधार: नवरात्रि पूजा से स्वास्थ्य में सुधार होता है और मानसिक संतुलन बना रहता है।
- दुष्टों का नाश: पूजा से शत्रुओं का नाश होता है और व्यक्तित्व में सकारात्मकता आती है।
निष्कर्ष
नवरात्रि देवी पूजा एक श्रद्धा, भक्ति और मानसिक शुद्धता का प्रतीक है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि जीवन के सभी पहलुओं में संतुलन और समृद्धि लाने में सहायक है। नवरात्रि पूजा में नियमित रूप से ध्यान, साधना और देवी के मंत्रों का जाप करना चाहिए। इस पर्व के माध्यम से हम माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करके अपने जीवन को सुखमय और सफल बना सकते हैं।